भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पून्यू-अमावस / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पून्यूं पुरसै
सांगोपांग सिक्योड़ो फलको

आभो : धाप्योड़ो गोधो
नईं भावै तो ई
कोर-कोर
खावै तोड़-तोड़
पूरै पखवाड़ै

अमावस
आभै रै माथै बांधणजोगी
बा पुरसै पूरै पखवाड़ाडै
कोर-कोर

ओ मिजळो
कैवै राजी हो-हो’र-
कीं और… कीं और
……और
…… हां और !