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पून री धीमी मधरी साँसाँ में स्यूँ / कन्हैया लाल सेठिया

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पून री धीमी मधरी साँसाँ में स्यूँ
एक कुचमादी बगूळियो ऊपन्यो,
गुड़ाळी चाल्यो नी, थड़ी करी नी,
भचकैं ’र ऊबो हू’र
घूमर घाली तो धूळ
जकी हीे लपेट में आई,
बूकीयो पकड़’र उठाई
बापड़ै आभै री आँख्याँ में बधाई !