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पूरा युग बीत गया / प्रदीपशुक्ल
Kavita Kosh से
जब तक मैं बस समझा-समझा,
जीवन बीत गया
धीरे धीरे करके सारा
मधु घट रीत गया
अभी-अभी तो बाबूजी के
साथ चढ़ा था साईकिल पर
अभी-अभी अम्मा बोली थीं
बेटा जीत गया
अभी-अभी तो बिटिया ने
इस जग में आँखें खोली थीं
अभी-अभी बेटा घर में
भरकर संगीत गया
अभी-अभी तो आँख लगी थी
अभी-अभी बस सोया था
हाय! अचानक कैसे यह
पूरा युग बीत गया?