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पूर्णता / लक्ष्मण देबी
Kavita Kosh से
मेरे पास बहुतों के हाथ है
जिन्हें देखता हूँ
पलटता हूँ
परखता हूँ
और
बोनस-बन्दी की
कंजूस घोषणाओं के बीच
अपना खाली हाथ
उन हाथों में भर देता हूँ
ताकि हर बन्दू मुट्ठी को
अपने खालीपन का
एहसास न हो।