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पृथ्वी और सूरजमुखी / तरुण भटनागर
Kavita Kosh से
सूरजमुखी का खेत,
सूरज के साथ-साथ घुमाता है अपना चेहरा,
यह जानकर भी,
कि पूरी पृथ्वी भी नहीं करती है ऐसा,
जब उसकी पीठ होती है सूरज की तरफ,
तब चेहरा होता है अंधेरों में,
जब पीठ होती है अंधेरों में,
तो चेहरा होता है सूरज की तरफ़।
कि पूरे ब्रम्हाण्ड का कायदा है,
हर बडी षक्ति और पिण्ड का नियम,
कि कभी चेहरा, तो कभी पीठ।
यह जानकर भी नहीं बदला सूरजमुखी का खेत,
घूरता सूरज को आँख भर-भर,
तपकर, जलकर, निर्भय
बनाने अपने प्रचंड बीज।