जब कही कुछ नहीं होता
एक शांत नीली झील मे सुस्ताती है
सारी हलचलें
वक़्त झिरता है धीमे झरने-सा
पृथ्वी खोलती है पुराना एल्बम
जगह-जगह आँसुओं के और ख़ून के धब्बे है उस पर
अनगिनत वारदातें घोड़ों की टापें
धूल और बवंडर के बीच
याद करती है पृथ्वी
वे तारीख़ें
साफ़ किया है जिन्होंने उसकी देह पर का कीचड़
धोया है मुँह बहते पसीने से
याद करेगी पृथ्वी अभी कई चीजें और
और कई चेहरे
रचनाकाल : 1991