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पृथ्वी / अमित कल्ला
Kavita Kosh से
बादलों के
बीच से वह
पृथ्वी को
देखता है
पृथ्वी
कितने ही सूर्य
वापस लौटाती
कह देती है —
यहाँ
हर पर्वत में
इक
सूर्य रहता है।