भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पेंटिंग के बीच की लड़की / इमरोज़ / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
इक दिन
पेंटिंग के बीच की लड़की
रंगों से बाहर आकर
एक नज़्म के ख्यालों को
देखने लगी
देख देख उसे
अच्छा लगा ख्यालों को रंग देना भी
और ख्यालों से रंग लेना भी
ख्यालों ने देखती हुई लड़की से पूछा
तू बता पेंटिंग के रंगों में
क्या - क्या बनकर देखा
मैंने मुस्कराहट बनकर देखा
पर हँस कर नहीं
मैंने खड़े होकर देखा है रंगों में
पर चलकर नहीं...