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पेंटिंग / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
पप्पू चित्र बनाने बैठे भालू का,
लेकिन चित्र बन गया उनसे आलू का।
पोते इतने रंग हाथ, मुंह, पाँवों पर,
भालू बना न पाए, बने आप बंदर।