भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पेड़ों ने जो रचीं ऋचाएँ / कुमार रवींद्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चो !
तुमने सुनी आरती - पक्षी गाते
 
पहले ऊषा-गान
सूर्य की फिर स्तुतियाँ
उनके लिए
सुनो, पावन हैं सारी तिथियाँ
 
पेड़ों ने जो
रची ऋचाएँ - वही सुनाते
 
महामंत्र खुशबू के
याद सभी हैं उनको
और जानते वे
धरती मइया के गुन को
 
उसकी महिमा
धूप- छाँव के सँग दोहराते
 
किसिम-किसिम की
प्रार्थनाएँ उनको आती हैं
महापर्व रचतीं ऋतुएँ
उनको गाती हैं
 
मंदिर-मस्जिद
दोनों में वे नीड़ बनाते