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पेड़-३ / ओम पुरोहित ‘कागद’
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पेड़
तपता है
धूप में
जपता है
पानी !
ज़ड़ों में
सहेजता है
पीड़ की
अकथ
कहानी !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"