भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पेड़-11 / अशोक सिंह
Kavita Kosh से
पेड़ आत्मकथा लिखना चाहते हैं
बयान देना चाहते हैं आदमी की तरह
आदमी की अदालत में
दिखा-दिखाकर अपना ज़ख़्म
दर्ज कराना चाहते हैं अपनी शिकायत
यूनियन बनाना चाहते हैं पेड़
हड़ताल पे जाना चाहते हैं
आन्दोलन करना चाहते हैं
आदमी के बढ़ते जुल्म के ख़िलाफ़
हथियार उठाकर
पर अफ़सोस !
ऐसा कुछ कर नहीं पा रहे पेड़
क्योंकि पेड़, पेड़ हैं
आदमी नहीं !