भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पेड़-3 / श्याम बिहारी श्यामल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क़लम से रोपे गए हैं
काग़ज़ पर !
ख़ूब मचल रहे हैं
झूम रहे हैं पेड़
रिपोर्टों में
आँकड़ों में !

पेड़ों की छटा
क्या ख़ूब फब रही है
फ़ाइलों में !

पेड़ आज कितने ख़ुश हैं
काग़ज़ पर होकर सुरक्षित
और बचकर
शीत से
धूप से
आँधियों से
बवंडरों से

पर, क्या इन चुप पेड़ों का
फूटेगा कभी कंठ ?