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पेड़-5 / अशोक सिंह
Kavita Kosh से
पेड़ों का कहीं कोई घर नहीं होता
बल्कि पेड़ स्वयं होते हैं एक घर
पशु-पक्षी से लेकर आदमी तक के लिए
आँधी-पानी हो या बरसात
पेड़ रक्षा करते हैं सबकी
पर अफ़सोस
पेड़ सुरक्षित नहीं हैं अपने-आप में !
वे आग से नहीं डरते, आँधी-पानी से नहीं डरते
चोर-बदमाशों से नहीं डरते
ख़तरनाक़ आतंकवादियों से भी नही लगता उन्हें डर
वे डरते हैं -
आदमी के भीतर पनप रही सैकड़ों कुल्हाड़ियों से !