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पेड़ अभी यह ज़िंदा है / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
इसे लाए थे
हम जंगल से
पेड़ अभी यह ज़िंदा है
जंगल में इसने हवाओं के
धूप-छाँव के ढँग सीखे
इसे याद है
तूफ़ानी रातों में जंगल थे चीख़े
नदियों ने
सींचा था जल से
पेड़ अभी यह ज़िंदा है
गमले में भी सिकुड़-सिमटकर
जीना इसने सीख लिया
ज़हर मिले - उनको भी इसने
प्रभु की इच्छा मान पिया
हुआ अपाहिज
मौसम कल से
पेड़ अभी यह ज़िंदा है
इसके आसपास अब भी हैं
ख़ुशबू के भीगे एहसास
इसके ज़िंदा रहते क़ायम
ढाई आखर की बू-बास
ऋतु होगी
इसकी कोंपल से
पेड़ अभी यह ज़िंदा है