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पेड़ के पुरखे / केदारनाथ अग्रवाल
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जंगल खोदते हैं युवक
अंधेर के अंधेरे के,
पेड़ के पुरखे
जमीन में डाढ़ जैसे गड़े
हिलते-हिलते भी नहीं गिरते
रचनाकाल: २०-०२-१९७५