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पेड़ नंगे हो रहे थे / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
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जंगल में
सारे पेड़ नंगे हो रहे थे
और पलाश
खिलखिला रहा था
अपने नंगे होने से पहले
जीवन में सबके
पतझड़ आता है