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पेड़ / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
आहिस्ता- आहिस्ता
बड़े होते हैं पेड़-
बच्चे / जवान / फिर बूढ़े
लेकिन मौसम में
हर साल अँखुए फूटते हैं
पत्तियाँ निकलत्यी हैं नई
शिशु के गालों की तरह
कोमल उनकी मुस्कराहट की तरह
भरी हुई ताज़गी से
फूलों से लद जाती हैं डालियाँ
और कुछ दिनों बाद
रस भरे फलों से झुक जाती हैं...