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पेल फायर / कैंटो - 1 / व्लदीमिर नाबोकोव

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खिड़की के शीशों से झांकते छद्म नीले आसमान से आहत
मोम के परों की छाया था मैं
धूसर रोओं का धब्बा था
और जीवित था
परावर्तित आकाश में उड़ता हुआ
खुद को दुहरा रहा था मैं

मेरे भीतर एक ‘अन्य’ चेहरा
उग रहा था ।

सामने पड़ा मेरा लैंप
प्लेट में पड़ा एक सेव
और रात को बेपर्द करता मैं

शीशे पर पर्दा खींच दिया मैंने
और घास पर फर्नीचर डाल दिए, और कितना उल्लासवर्धक लगा
जब बर्फ़ की एक फुहार ने मेरे लान को ढ़क लिया
कुर्सियों और बिछावन की उजली प्रतिछवियां बनाता
बर्फ़ की स्फटिक भूमि पर

आकृतिविहीन और धीमी
लगातार गिर रही बर्फ़ की
अस्थिर और अपारदर्शक परत
एक सुस्त, घनी सफेदी
दिन की पीली सफेदी के मुकाबले
और इस तटस्थ रोशनी में खड़ा आदर्श बबूल
.....

फिर धीमी और मायावी नीलिमा
मानो
दर्शक और दृश्य के मध्य
रात्री संघनित हो गयी हो, और सुबह में हीरे सी चमकती तुषार

.....
आश्चर्य
यह किसने भागते पावों से
बाएं से दाएं
दौड़कर सड़क का यह खाली हिस्सा पार किया है ?
इन चिन्हों में छुपे पावों को मैं पढ़ना चाह रहा हूँ:
एक विंदु एक तीर पीछे चिन्हित करता: पुन: विंदु,
एक तीर पीछे चिन्हित करता............
क्या ये एक किसान के पांव हैं !

घूर्णित सौंदर्य, उन्नत सरों वाला लालसर
मैं तुम्हारे चीनी अधिकारों को अपने घर के पिछवाड़े पा रहा हूँ,
क्या वह शरलॉक होम्स था, या उसका कोई पात्र
वह साथी जो पगडंडी पर पीछे चिन्ह छोड़ता जाता था,
जब वह अपने जूते उल्टा पहनता था ?

सभी रंग मुझे पसंद हैं: भूरा भी
उस वक्त मेरी आंखें ऐसी थीं जैसे भाषा में तस्वीरें खींच रही हों
जब भी मैंने स्वीकृति दी या चुपचाप कोई आदेश दिया
कांपता हुआ वह क्या कल्पना की आंखों में बसा अंतरदृश्य था,
हिकोरी वृक्ष की पत्तियां या एक तन्वंगी या जमती बर्फ़ की छूरी-
जो मेरी पलकों की कोरों पर उभर चुकी थी-
जहां वह ठहरेगी थोड़ी देर बस उसे ठहरना चाहिए
और इस सब की समाप्ति पर
जो मुझे करना था वह अपनी आंखें खोल
पत्तियों का पुनर्जन्म देखना था, या
अंतरदृश्य पत्तियों की विजयपताखाएं

मैं नहीं समझ सका कि क्यों मैं झरने की ओर से आगे ओसारे की ओर आया
जब कि मुझे लेकरोड पकड़नी थी, जो स्कूल को जाती थी,
अब जब कि कोई वृक्ष आड़े नही आ रहा है
कोशिश कर के भी मैं छत तक नहीं देख पा रहा:
यहां कोई धोखा भी हो सकता है या वह मृदु आलोक
और यह गोल्डसवर्थ और वर्डसवर्थ की हरियाली के घेरे में स्थिर हो !

बडे़-बड़े काले-हरे पत्थरों के रंग के पत्तों वाला मेरा मन-पसंद तम्बाकू
वहां खड़ा था
एक काले पतले ऐंठे तने के सहारे
सूर्य की रोशनी में उसकी छाल कांसे जैसी हो रही थी
जिसके चारो ओर खुले गजरे सी पौधों की छत गिर रही थी ।

सफेद तितलियां लवेंडर के फूल की ओर मुड़ीं
जैसे इसकी छाया के नीचे से निकलना चाह रही हों
और उनके पंखों की हवा से वह हल्का झूलता सा दिखता है
जैसे मेरी बेटी का फैंटम झूलता है

घर भी बहुत कुछ ऐसा ही लग रहा था
एक पंख का हम नवीकरण कर चुके थे वहां शीशे का एक धूप स्नान का घेरा था
जहां एक तस्वीर खुलती है, किनारे से सजी सुनहरी कुर्सियों के साथ

टीबी पर रखा बड़ा सा पेपरवेट कठोर हवा चक्की की तरह चमकता है
तभी मौसम के बुलावे पर आई
पतली मोकिंग बर्ड
समाचारों को दुहरा रही होती है
चिप्पो-चिप्पो की दबी आवाज से लेकर टूबी-टूबी की तीखी और फिर घिसती हुई
कम हियर,कम हियर की मद्धिम ध्वनि
अपनी पूंछ को ऊंचा झुलाती
आनंदित सी।

छोटा था जब मरे मेरे माता-पिता
पक्षी विज्ञानी थे दोनों

मैंने सोचा कि अभी उनका आह्वान करूं
कि आज हमारे हजारों माता-पिता हैं
पर उदासी में डूब उन्होंने खुद को पीछे कर लिया
विसर्जित कर दिया अपनी आदतों में

पर कुछ शब्द
संभावित शब्द
बुदबुदाता हूं मैं - जैसे ‘‘रोगी हृदय’’ हमेशा पिता के लिए
और ‘‘अग्नाशय का कैंसर’’ माता के लिए

मैं
एक अराजक सौंदर्यवादी
जो सूने घोसलों को इकट्ठा करता है
यहीं कहीं मेरा सोने का कमरा था
जो अब अतिथियों के नाम आबंटित हो चुका है
यहीं अपने विस्तरे के समीप
कैनेडियन दासी द्वारा तहाए
विस्तरे के पास मैं सुनता हूं
किसी की चहलकदमी सीढ़ियों पर
और प्रार्थनाएं
हरेक के हमेशा सुखी रहने की
चाचा, चाची और दासी और उसकी भीतीजी एडले जिन्होने पोप को देखा है
किताबों में मनुष्य की तरह और ईश्वर की तरह

अपनी भोली, आधुनिक चाची द्वारा लाया गया था मैं
मैं
एक कवि और चित्रकार
प्रलय के दृश्यों और विकास के हास्यास्पद सिद्धान्तों के अंतरग्रंथन को
सीधी आंखों से देखने वाला

वह जीवित है
कि देख सके, मेरे अगले बच्चे का जन्म

उसका कमरा हमने अलगा रखा है

ये सब मिलकर उसके जीवन को एक शांत आकार दे रहे थे
उभरे कांच का पेपरवेट
खारे जल की एक झील
--- गद्य पुस्तक एक सिद्धांत पर खुलती है-‘‘मून-मूनराइज-मूर-मोरल’’
नाखुश गिटार, मानवी खोपड़ी, और क्षेत्रीय तारा सी एक विलक्षणता
जो एक तरंग के झटके से धड़कती है - 5-4
होमर होमर के चैपमैन पर और दरवाजे पर अंगूठे से ठप्‍पा लगाया मैंने

मेरा जमीर मेरी जवानी में ही मर गया
उसकी प्रतिज्ञाएं अशुद्ध निकलीं
आध्यात्मिक तौर पर वह अपयश देने वाला निकला
और

स्वतंत्र व्यक्ति को ईश्वर की जरूरत नहीं पड़ती
पर क्या मैं स्वतंत्र था- ?
किस तरह मैं धीमे-धीमे मौसम के करीब पहुंचा
और कैसे मेरी बाल स्वदेंद्रियों ने
सुनहरे और चिपचिपे पेस्ट में आधी मछली और आधे मधु का स्वाद पाया


मेरी तस्वीरों की किताब अभी शुरू ही हुई थी और
चमड़े के पुते हुए पन्नों से हमारे पिंजड़े ढ़के जा रहे थे:
चांद के चारों ओर चमकता गुलाबी घेरा रक्तिम नारंगी सूर्य
जुड़वे इंद्रधनुष और अकेली घटना की तरह वह एल्डर का पौधा-
जब सुंदर और आश्चर्यजनक चमकते आकाश में
एक पहाड़ की ऊँचाई से उपर दूधिया पत्थर सा अंडाकार बादल
एक कड़कता तूफान इंद्रधुनष परावर्तित करता है
जिसका एक अकेली घाटी में मंचन हो चुका है-
क्यो कि हम बहुत ही कलाकारी से कैद किए गए हैं

और वहां ध्वनि की दीवार है:
अंधेरे की अभेद दीवार खड़ी कर रहे हैं घाटी के असंख्य झिंगुर
पहाड़ी की आधी उंचाई पर उनके बेसुध कंपन का दास बना मैं
विश्राम कर रहा था
वहां प्रकाश है
वह एक विशाल भालू है
हजारो साल पहले सुंदर रेत के 20 छंटाक के बराबर होता था पांच मिनट
घूरते तारे
अनंत समय पूर्व और अतंत समय पहले पश्चात तुम्हारे सर के आगे
अपने राक्षसी डैने फटकारेंगे और तुम मर जाओगे ।

मैं यह कहने का साहस करता हूं कि पूरा असभ्य व्यक्ति
ज्यादा प्रसन्न रहता है पानी से गुजरता हुआ भी
वह दूधिया रास्ते देखता है
अभी जैसा कि मैं अपने रिस्क पर टहल रहा हूं
छड़ी से पीटा गया ठूंठ से कुचला गया दमा ग्रस्‍त लंगडा और मोटा मैं
कभी एक गेंद नहीं उछाल सकता
न कोई बल्ला झुला सकता हूं ।

मोर के परों से कत्ल की गई छाया हूं
मैं
खिड़की के पल्लों से दूर होने का बहाना करता
मेरे पास एक दिमाग था पांच इंद्रियों वाला जिनमें अद्भुत था एक
बावजूद इसके मैं एक लहराता चिथड़ा था
सपनों में मैं दूसरे छोकरों के साथ खेलता हूं
पर किसी से ईर्ष्या नहीं करता
शायद अब भी मैं मन में एक पहिए की सायकिल
भीगी रेत पर उदासीन निपुणता से चला सकने का चमत्कार संजोए हूं ।

खिलंदड़ी मौत के साथ अटका दिया गया है मार्मिक दुख का एक धागा,
मेरे भीतर रगड़ खाता बार-बार मुक्त करता पर उपस्थित हमेशा
एक दिन जब मैं ग्यारह चक्कर लगा फर्श पर पड़ा
एक घड़ीनुमा खिलौने को देख रहा थ-
टिन की एक पहिया गाड़ी को ठेलता एक दुबला-पतला लड़का –
कुर्सी के पैरों के नीचे से गुजरता मेरे बिछावन के नीचे आ भटका
तब मेरे सर में एक अग्निस्फोट हुआ था ।

तब कालरात्रि थी और वह एक विशिष्ठ कालिमा थी
मैंने खुद को शून्य और समय में बंटता महसूस किया
एक पैर पहाड़ी के उपर, एक हाथ पत्थरों के कांपते किनारों के नीचे
एक कान इटली में, एक आंख स्पेन में
गुफाओं में मेरा रक्त और नक्षत्रों में मेरा मस्तिष्क
मेरे ट्रियोसिक में भद्दे कंपन थे
उपर प्लेस्टोसीन में हरी-हरी आंखों की छाया थी,
एक बर्फीला कंपन मेरी पथरीली आयु को कम कर रहा था
और सारे भविष्यत मेरी केहुनी में थे
एक जाड़े की हर दोपहरी को उस क्षणिक मूर्छा में डूबता था मैं
और तब इससे मुक्ति मिली थी
इसकी छवि धूमिल पड़ी
मेरा स्वास्थ्य सुधरा
यहां तक कि
मैं तैरना सीख चुका था
पर अपनी क्षुद्र प्यास को बुझाने के लिए कोई दुष्टा स्त्री
जिस तरह किसी बालक को अपनी बाहों में खींच रही हो,
मैं बर्बाद किया गया था, डराया ललचाया गया था
तब बूढ़े डाक्टर कोल्ट ने मुझे चंगा घोषित किया था
उस दर्द से जिसे उसने मुझमें मुख्यतः बढ़ता हुआ पाया था
पर वह अद्भुत ठहराव और लज्जाजनक क्लेष शेष रह गया था ।

अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल