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पैमाना / प्रांजल धर

वे गहरी नींद सोते हैं
क्योंकि उन्हीं के कन्धों पर पूरे देश का भार है ।
हमें जागना पड़ता है
हम भारवाहक हैं ।
वे वरेण्य हैं, हम नगण्य ।
वे नींद के दास हैं और नींद हमारी दासी ।
श्रेष्ठत्व का यह कैसा पैमाना है !
ख़ैर ।