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पैर अपने थे मगर उनके इशारों पर चले / जहीर कुरैशी
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पैर अपने थे मगर उनके इशारों पर चले
लोग कठ पुतली-से घिर्री और तारों पर चले
हम धरा के पुत्र थे,हम कीच में लिपटे रहे
हम नहीं वो लोग जो चन्दा-सितारों पर चले
नित नये नारों को गढ़ लेते हैं अवसर देख कर
राजनैतिक रूप से वे सिर्फ़ नारों पर चले
गीतकारों के लिए गायक ज़रूरी हो गये
और गायक भी सदा संगीतकारों पर चले
हम अविश्वासी सही, लेकिन डरे हैं आप भी
ऐसे सौदे कब भला मैखिक करारों पर चले
पाँव पैदल उनको उनको चलना ही नहीं आया कभी
वायुयानों से उतरते ही वे कारों पर चले
पेड़ से टूटे न थे तो दर-ब-दर भटके न थे
पेड़ से हो कर अलग पत्ते बयारों पर चले