भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पैर / वीरा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पैर आदत में होते थे

पहले कभी

जब भी चलते थे


पैर यात्रा में हुए

जब भी

दूसरों तक पहुँचे थे


पैर मंज़िल पर होते हैं

अब

तुम तक आते हैं जब