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पै‘लापै‘ल (7) / सत्यप्रकाश जोशी

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आज बिणखड़ियां रा फूल राता,
आज रोहिड़े रा फूल गुलाबी,
जांणै म्हारै कूं-कूं पगल्यां रै उणियार
जांणै म्हारी सुपारी सी
ऐडी रै जावक रौ चितराम।

पण पै‘लापै‘ल
जद थूं सांवळै हाथां सूं
म्हारी गोरी ऐडी
अर म्हारै गोरै पग री
सुरंगी पगथळी में
म्हावर लगावण लागौ
तौ म्हें छळगारी लाज रै फरमांण
म्हारा पगां नै संवेट
घाघरा रै झीणै घेर में
लुकाय लीना
अर वा म्हावर
फूलां फूलां घुळगी।