भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पॉपलर का पेड़ / यूलिया मोरकिना / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जबसे पॉपलर के पेड़ पर लटककर
यहूदा ने अपना जीवन ख़त्म किया
तब ही से काँप रहा है वो, शान्त ही नहीं होता ।
शायद उसे किसी चमत्कार की आशा होगी
शायद वो किसी ख़ुशख़बरी का सपना देख रहा होगा :

अब तो, बस, यही उम्मीद बाक़ी है
कि वह बच जाएगा, नरक से मुक्त हो जाएगा ।

पॉपलर का पेड़
उसके मन के भीतर अभी भी हिल रहा है ।

और हवा, बस, यही तो चाहती है ...।

2021
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Юлия Моркина
                 ОСИНА

Осина, где окончил жизнь Иуда,
С тех пор дрожит, и больше не уняться.
Она бы и надеялась на чудо,
Ей, может быть, благие Вести снятся:

О том лишь, что надежда остаётся,
Что он спасётся, выпущен из ада.

Осина
по Душе его трясётся.

А ветру только этого и надо…

2021