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पोंछ दिया मैलापन / जगदीश पंकज
Kavita Kosh से
पोंछ दिया मैलापन
टूटे मन दर्पण का
सम्वेदित बिम्ब, पर
कटे से हैं
फेंक गए संस्मरण
पाषाणी प्रभाव
अनुगति का अन्धापन
फीका हर चाव
बहुत किया आकलन
भस्मी औ' चन्दन का
पूजा के भेद, पर
बँटे से हैं
स्थितियाँ कर गईं
तथागती निष्क्रमण
तर्कों में बीत गए
अपने चलने के क्षण
भूत में नियोजन
वर्तमान पीढ़ी का
प्रेरक, पर पृष्ठ सब
अटे से हैं