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पोखरिक पाढ़ चढ़ि हे हाँक पारै हे भगता / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पोखरिक<ref>पोखरे के</ref> पाढ़<ref>किनारे</ref> चढ़ि हे हाँक<ref>जोर-जोर से बुलाता है</ref> पारै हे भगता।
अहि<ref>इसी</ref> पंथे देखलै रे भगता, नरसिंह देब अबता<ref>आते हैं</ref>॥1॥
बाट रे बटोहिया कि तोहिं मोर हे भैया, अहि पंथ देखलै रे भैया, गहिली<ref>एक देवी</ref> दाय के हे उदेसबा<ref>खोज में</ref>॥2॥
देखलौं में देखलौं रे भगता, रे मरबड़िया के रे दोकनमा।
रचि रचि बेसाहैं<ref>खरीदो</ref> रे भगता, कुसुम रँगल सड़िया॥3॥
पिन्हनाँ में छेकै<ref>है</ref> रे भगता, कुसुम रँगल सड़िया।
ओढ़ना में छेकै रे भगता, दखिन केरा चिरबा॥4॥
बाट रे बटोहिया रे भैया, तोहिं मोरा हे भैया।
अहि पंथ देखलौं रे भैया, गहिली देबी आबती॥5॥
देखलौं में देखलौं रे भैया, सिनुरिया<ref>सिंदूर बेचने वाला</ref> केरा दोकनमा।
रचि रचि बेसाहैं रे भैया, संखा चूड़ी हे बहियाँ॥6॥
बाट रे बटोहिया कि तोहिं मोरा रे भैया।
अहि बाटे देखलैं रे भैया, गहिली देबी हे आबती॥7॥
देखलौं में देखलौं रे भैया, हलुबैया के रे दोकनमा।
रचि रचि बेसाहैं रे भैया, चीनी पाक हे लडुआ॥8॥

शब्दार्थ
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