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पोरबन्दर / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
बाहर कुछ
कुछ अन्दर
बूढ़ा अपने घर में
पूरा बे-असर
सिवा इसके
कि हर दर पर
बिकते दिख रहे हैं
तीन बन्दर