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पोस्टऑफिस / देव प्रकाश चौधरी
Kavita Kosh से
जिंदगी के पोस्टऑफिस में
खाते के लिए
नहीं चाहिए आधारकार्ड
दिन का डाकिया
रखता है हिसाब-किताब
दिल की खुली खिड़की में
दिखता है उम्मीदों का बहीखाता
सपनों का मनीऑर्डर
बस
वक्त की मुहर ज़रूरी है।