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पोस्टर बनने से इंकार करते हैं बच्चे / मुक्ता
Kavita Kosh से
क्यों नहीं होता है वहाँ पेड़
जहाँ पेड़ को होना चाहिये
क्यों नहीं होती है बारिश
जहाँ बारिश को होना चाहिये
क्यों होते हैं ऐसे किस्से जिनमें बच्चे शामिल नहीं हैं
बच्चों का विरोध है उस पूरी दुनियाँ से –
जो स्थितियों को निरंतर जटिल बना रही है
बच्चों को नहीं चाहिये ऐसी पतंग—
जिसकी डोर किसी और के हाथ में रहे
पोस्टर बनने से इंकार करते हैं बच्चे।
बच्चों की आस्था है वृक्ष, आकाश और जल
बच्चों के विश्वसनीय हैं ‘चंदामामा ’
बच्चे जल्दी ही ऊब जाते हैं ऐसी गेंद से जो हवा में न उछले
कंप्यूटर के पर्दे पर केवल पसरी रहे
पेड़ से गिरे किसी भी गोल फल को
उछलती गेंद में बदल सकते हैं बच्चे।