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पौधे-पौधे को जल देने क्यारी-क्यारी जाती है / नन्दी लाल
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पौधे-पौधे को जल देने क्यारी-क्यारी जाती है।
माँ के हाथों बच्चों की तकदीर सँवारी जाती है।।
नेक काम कोई भी अपने आँगन होना होता जब,
सबसे पहले घर के अंदर वही पुकारी जाती है।।
कैसी भी पीड़ा हो अंदर कैसा भी मन घायल हो,
माँ रख देती हाथ बदन पर सब बीमारी जाती है।।
माथ चूमना गले लगाना उबटन चंदन क्या से क्या,
भाल सजाकर बेटों की आरती उतारी जाती है।
पिता बड़ा होता है, लेकिन माँ से बड़ा नहीं होता
माँ देती आशीष हृदय की सब दुश्वारी जाती है।
जाया अजर-अमर हो खुश हो इसीलिए उस पर माता,
सब कुछ न्योछावर करती है सब बलिहारी जाती है।
त्याग और बलिदान भुलाकर बचपन में आदर्शों को,
आज कपूतो के हाथों से माता मारी जाती है।