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पौध-घर / सर्जिओ इन्फेंते / रति सक्सेना
Kavita Kosh से
आसमान में
शैतानी गैसों ने बना ली
अपनी बेहद बेवकूफाना मेहराब
और समय रहते किसी को नहीं मिली खबर?
किसे पता है, आखिर कौन जानता है
कब बजी थी उस समय
गमन-सूचक सीटी।
जल प्लावन और मृत शरीर - निसृत गैसों ने
कोहरे के कफन से
ढक दी हैं सभी मुख्य जगहें,
उष्णकटिबंध, विषुवत,
कुतुबनुमा दर्शित समस्त गुलाबी पटल।
धरती बन गई है एक ममी
जिसकी कामना नहीं करता कोई
जिसे बदल नहीं सकता कोई।
लेकिन यहीं रुको,
देखो इस शून्य में
हमारी सदिच्छाओं से रिसता शाश्वत व्रण,
हमारी नियत का जाया
प्रशंसनीय गलित मांस।