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प्यार औरों से नहीं, हमसे अदावत न सही / गुलाब खंडेलवाल

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प्यार औरों से नहीं, हमसे अदावत न सही
है तो शोख़ी ये निगाहों की, शरारत न सही

लीजिए हम वो मुक़दमा ही उठा लेते हैं
अपनी किस्मत ही सही, आपकी आदत न सही

आप आयें न अगर हमको बुला सकते हैं
हमको फुरसत है बहुत, आपको फुरसत न सही

दिल में जो आपकी तस्वीर उतर आयी है
रंग तो प्यार का उसमें है, हक़ीकत न सही

उनके गमले में तो हर रोज़ ही खिलता है गुलाब!
न हुई तेरी अगर बाग़ में इज्ज़त, न सही