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प्यार और इंतज़ार से चलती है दुनिया / लोकमित्र गौतम

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मैंने सोचा दुनिया ताकत से चलती है
लेकिन मान लेता इससे पहले ही
सामने आ खड़ा हुआ इतिहास
जो ताकतवर लोगों के भयानक हश्रों से भरा था
मैंने खारिज किया
अब मैंने सोचा दुनिया शायद दौलत से चलती है
लेकिन मान लेता इसके पहले ही
सामने आ खड़ा हुआ बाज़ार
जो इस हकीकत से दो चार था कि दौलत से
न तो एक पल की अतिरिक्त जिन्दगी खरीदी जा सकती है
 न ही सुकून
मैंने दौलत को भी ख़ारिज किया
फिर मैंने एक एक करके बहुत सी चीजों के बारे में सोचा
कि दुनिया शायद उनसे चलती होगी
मगर अफ़सोस कि सबको एक एक करके खारिज़ करना पड़ा
क्योंकि; दुनिया उनमें से किसी से नहीं चल रही थी
मैं परेशान होकर सो गया
सुबह मेरी आँख चिड़ियों के शोर और सूरज की आंच से खुली
मैंने खिड़की से बाहर दौड़ते भागते लोगों की रेलमपेल देखी
जो रोज़ ही देखता था
लेकिन आज एक और चीज देखी
जो शायद आज के पहले कभी नहीं देखी थी
मैंने इन दौड़ते भागते लोगों के चेहरों के इनसेट में
एक साझा तस्वीर देखी
लाखों लाख चेहरों में एक ही तस्वीर
मासूम बच्चे हाथ हिलाते हुए अपनी तोतली जुबान में कह रहे थे
मम्मी/पापा जल्दी आना
मैं यह तस्वीर देखते ही समझ गया दुनिया किससे चलती है
जी,हाँ सही समझा
दुनिया प्यार और इंतज़ार से ही चलती है