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प्यार करऽऽ / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
चाँद ने कुछ कहा, रात ने कुछ सुना
तू भी सुन बेख़बर, प्यार कर, ओ हो हो प्यार कर
आई है चान्दनी मुझसे कहने यही
मेरी गली मेरे घर, प्यार कर, ओ हो हो प्यार कर
क्या कहूँ क्या पता, बात क्या हो गई
दिल्लगी ये मेरे साथ, क्या हो गई
इक इशारा है ये दिल, पुकारा है ये दिल
इससे चुरा ना नज़र, प्यार कर, ओ हो हो प्यार कर
है कौन क्या ख़बर, कोई तो है मगर
सपनों में है कहीं, आता नहीं नज़र
मैं यहाँ वो वहाँ, आ रही फिर यहाँ
आवाज़ किसकी मगर, प्यार कर, ओ हो हो प्यार कर
जिसपे हम मर मिटे, उसको पता भी नहीं
क्या गिला हम करें, वो बेवफ़ा भी नहीं
हमने जो सुन लिया, उसने कहा भी नहीं
ऐ दिल ज़रा सोचकर, प्यार कर, ओ हो प्यार कर