Last modified on 27 जनवरी 2025, at 23:27

प्यार का इक जलाकर दिया आपने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

प्यार का इक जलाकर दिया आपने।
राहे उल्फ़त को रौशन किया आपने।

सबके बस की नहीं बात थी जिस तरह,
जिन्दगी का ज़हर पी लिया आपने।

याद है आपकी अब भी बाजीगरी,
किस तरह ज़ख़्म दिल का सिया आपने।

मुश्किलें सामने फिर र्न आइं कभी,
जब ख़ुदा पर भरोसा किया आपने।

वक़्त ने रंग रह रह के बदले मगर,
अपना बदला नहीं जाविया आपने।

रात कल अपनी मुस्कान से सींचकर,
इक शजर फिर हरा कर दिया आपने।

हम ये रिश्ता निभायेंगे ता जिन्दगी,
कह के ‘विश्वास’ पुख्ता किया आपने।