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प्यार का निराला युग हूँ / आनंद कुमार ‘गौरव’

प्यार का निराला युग हूँ
न यूँ अनमना कर देखो
मुझे गुनगुना कर देखो
 
मन दर्पण में बस तुम हो
सुधि सावन में बस तुम हो
श्वाँस-श्वाँस मेरे पूजन
और नमन में बस तुम हो
अधरों पर गीत की ऋचा
स्वर सुधा सजाकर देखो
 
काँटों की छाँव-सा हुआ
घाव भरे पाँव-सा हुआ
मेरा यह जीवन तुम बिन
पीड़ा के गाँव-सा हुआ
महका दो गीत का गगन
गले से लगाकर देखो