भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार का बदला हमेशा प्यार क्यों होता नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
Kavita Kosh से
प्यार का बदला हमेशा प्यार क्यों होता नहीं?
जिसपे जां दूँ वो भी मेरा प्यार क्यों होता नहीं?
जिनकी मेहनत से बना करते हैं महल-ओ-कोठियां
उनकी ही तक़दीर में घरबार क्यों होता नहीं?
राम तूने तो शिला को भी जिलाया था कभी
आज मानव का भगत उद्धार क्यों होता नहीं?
जानता हूँ मुझ से बेजा ख़्वाहिशें करते हैं लोग
चाहता हूँ लाख पर, इंकार क्यों होता नहीं।
उसका दिल है साफ तो फिर हम से मिलने के समय
वो मिलाने को नज़र तैयार क्यों होता नहीं?
बाहरी दुनिया से यदि मिलता नहीं सम्मान तो
व्यक्ति का निज गृह में बि सत्कार क्यों होता नहीं?