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प्यार की आग में दिल झुलसने लगा / रंजना वर्मा
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प्यार की आग में दिल झुलसने लगा
ख्वाब का आशियाना दरकने लगा
तुमको देखा था जिस दिन सनम रूबरू
मेरे पहलू में दिल था मचलने लगा
सुर्खियाँ देख कर उस के रुख़सार की
आसमाँ अपनी रंगत बदलने लगा
जल रही थी शमा शब ए तारीक में
दर्द भी मोम बन कर पिघलने लगा
रौशनी भोर की झिलमिलाने लगी
अब है पूरब से सूरज निकलने लगा
मंदिरों मस्जिदों में तलाशा जिसे
वो ख़ुदा अब दिलों में है रहने लगा
आबे उल्फ़त से थे होंठ गीले किये
प्यार लेकिन समन्दर में बहने लगा
है रिहायश न आसान इस देश मे
दिल मे ही वो हमारे है बसने लगा
दिल मे मायूसियाँ हिज्र ने यों भरीं
वस्ल की याद से मन बहलने लगा