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प्यार की मीठी बात कहो तो... / निश्तर ख़ानक़ाही
Kavita Kosh से
प्यार की मीठी बात कहो तो बोझल उसकी तबीअत हो
कमसिन लड़की ऐसी, जैसे पुख़्ता उम्र की औरत हो
अब भी अक्सर आता है यों ध्यान पुराने रिश्तों का
जैसे दुनियाभर बशर की आदत वजहे-इबादत* हो
अब कि तअल्लुक़ मुश्किल फ़न है, मुझसे फ़क़त वो शख़्स मिले
हस्बे-ज़रूरत* हंसना-रोना, जिसको इसमें महारत हो
आख़िर क़ायल हम भी हुए हैं थककर उसकी दलीलों से
शिकवा करके सोचा यह था, शायद उसको नदामत हो
दर्द के ख़ोशे* चुनते-चुनते हाथ मेरे पथारने लगे
फ़स्ल को तेरी आग लगा दूँ, ऐ दिल अब तो इज़ाजत हो
1- वजहे-इबादत--पूजा पाठ का कारण
2- हस्बे-ज़रूरत--आवश्यकतानुसार
3- ख़ोशे--दाने