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प्यार की हमको ज़रूरत कभी ऐसी तो न थी / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
प्यार की हमको ज़रूरत कभी ऐसी तो न थी!
भूलने की उन्हें आदत कभी ऐसी तो न थी!
हमने माना इसी मंज़िल को तरसते थे फूल
पर बहारों की भी सूरत कभी ऐसी तो न थी!
ज़िन्दगी ख़ुद ही उतरती गयी है प्याले में
वरना पीने की हमें लत कभी ऐसी तो न थी!
क्या हुआ आ गया हल्का-सा जो रंग आँखों में !
आपको हमसे शिकायत कभी ऐसी तो न थी!
हमने धरती पे सिसकते हुए देखे हैं गुलाब
मालियो! बाग़ की हालत कभी ऐसी तो न थी!