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प्यार के छौने / पूर्णिमा वर्मन

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ऎ मेरे प्यार के छौने

आ तेरे सीने से

दर्द का तीर निकाल दूँ

तेरे शव को सीने से लगाए और नहीं घूमूँगी मैं

ऎसा तो बंदर करते हैं

हमारे पूर्वज

पशु !


हम तो इन्सान हैं सभ्य और सुसंस्कृत

तरह-तरह के भालों से

मानवता की हत्या करते हैं

बड़े-बड़े शिलालेख लगा कर

सब-कुछ गाड़ देते हैं

पुराने विश्वास-प्यार

दफ़नाते चले जाते हैं

जहाँ तक--

ज़मीन नज़र आए आँखों में

और साँस रहे--

सीने में

खोदने के लिए