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प्यार के ढाई आखर दे / मधुरिमा सिंह
Kavita Kosh से
प्यार के ढाई आखर दे ।
चाहे पग - पग ठोकर दे ।
दिल के कोरे काग़ज़ पर,
तू भी तो कुछ लिखकर दे ।
तू दे तो ग़म ले लेंगे
लेकिन वो भी हँसकर दे ।
जह्र से भी इंकार नहीं,
अपना हाथ बढ़ाकर दे ।
दिल की ग़ज़ल अधूरी है,
एक शेर तू कहकर दे ।
जोगी की खुद्दारी है ,
भिक्षा घर पर आकर दे ।