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प्यार क्या करूँ / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
मैं भूख से बेहाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
घर में नही है दाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
ये जिंदगी है यारों कब किसको बक्सती है
मैं हो रहा हलाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
आत्मा के बेंचने को, ग्राहक तलासता हूँ ,
मैं हो गया दलाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
आदर्श, भावनाएं, जज़्बात , सब रेहन हैं,
केवल बची है खाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
कमबख्त भूख ने तो इन्सान खा लिया है,
बस है यही मलाल, तेरा प्यार क्या करूँ ?
दुनिया की हर गणित से, वज़नी गणित हमारा,
रोटी अहम् सवाल , तेरा प्यार क्या करूँ ?
‘आनंद’ बिक चुका है, कब का भरे चौराहे ,
अच्छा मिला है माल तेरा प्यार क्या करूँ?