प्यार तुम्हारा / सोनरूपा विशाल
रेशम रेशम ख़्वाब नज़र में आया है
प्यार तुम्हारा जब दिल में गहराया है
दुनियादारी में अब कोई सार नहीं
मन ये बातें सुनने को तैयार नहीं
प्रेम का हर पल सचमुच कितना अद्भुत है
मेरा ही मुझ पर कोई अधिकार नहीं
प्यार है कोई या कोई ये माया है
प्यार तुम्हारा...............................।
पावन संकल्पों से संकल्पित होकर
ख़ुश रहती हूँ तुमसे अनुबंधित होकर
तुमको अपने मन में अंकित करके मैं
और तुम्हारे मन में मैं अंकित होकर
गुमनामों में अपना नाम लिखाया है
प्यार तुम्हारा................................।
मरुथल से इक झील हुए हम-तुम मिलकर
उजियारी कंदील हुए हम-तुम मिलकर
एक लहर पानी में ज्यों घुल जाती है
ऐसे ही तब्दील हुए हम- तुम मिलकर
हर शय ने हम पर अमृत बरसाया है
प्यार तुम्हारा................................।