प्यार देकर भी मिले प्यार, ज़रूरी तो नहीं
हर दफ़ा हम हों ख़तावार, ज़रूरी तो नहीं
ख़ून रिश्तों का बहाने को ज़ुबाँ काफ़ी है
आपके हाथ में तलवार ज़रूरी तो नहीं
आपके हुस्न के साए में जवानी गुज़रे
मेरे मालिक, मेरे सरकार, ज़रूरी तो नहीं
एक मंज़िल है मगर राहें जुदा हैं सबकी
एक जैसी रहे रफ़्तार, ज़रूरी तो नहीं
दीनो-ईमां की ज़रुरत है आज दुनिया में
सर पे हो मज़हबी दस्तार ज़रूरी तो नहीं
एक दिन आग में बदलेगी यही चिंगारी,
ज़ुल्म सहते रहें हर बार, ज़रूरी तो नहीं