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प्यार ने रोज़ ही जीने के तरीके बाँटे / महेश कटारे सुगम

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प्यार ने रोज़ ही जीने के तरीके बाँटे ।
दिल के अहसास ने ख़ुशियों के वज़ीफ़े बाँटे ।

काम ने शर्त लगाई थी न पूरे होंगे,
सख़्त मेहनत ने तो भरपूर नतीजे बाँटे ।

कोई हमराह नहीं राह भी आसान नहीं,
हौसलों ने हमें चलने के सलीके बाँटे ।

एक सा वक़्त जो होता तो मज़ा क्या होता,
ये तो अच्छा हुआ सुख-दुःख के दरीचे बाँटे ।

ख़ून से सींच के ख़्वाबों से सजाया हमने,
वक़्त ने तब कहीं शौहरत के गलीचे बाँटे ।