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प्यार में दो / तुलसी रमण

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चैत हूँ मैं
गुनगुनी में महकता

खुमानी की
     एक-एक टहनी में
ख़िलती हुई तुम हो
        रक्ताभ
        उजली

आकंठ डूबी हुई

एक हुलस
     धूप नहायी
                      मई 1998