भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार में दो / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
चैत हूँ मैं
गुनगुनी में महकता
खुमानी की
एक-एक टहनी में
ख़िलती हुई तुम हो
रक्ताभ
उजली
आकंठ डूबी हुई
एक हुलस
धूप नहायी
मई 1998