प्यार मेरे लिए सिर्फ एक उम्मीद का नाम है / विमल कुमार
हर बार बढ़ जाती है
मेरी उम्मीद
तुमसे मिलने के बाद
कि थोड़े दिन और जी पाऊँगा
इस दुनिया में
थोड़ी रोशनी हो सकेगी
इस नीम अँधेरे में
थोड़ी हवा बहेगी
इस बंद कोठरी में
कोई धूप खिलेगी
कोई बारिश होगी
इस मौसम में
मिलती अगर मुझे
उम्मीद किसी और चीज से
तो मैं तुम्हें नहीं करता
इस तरह नाहक परेशान
नहीं कहता तुम आओ, अभी इसी वक्त
मुझसे मिलने या मैं ही आता हूँ
किसी दिन तुम्हारे घर कभी
पर तुमने मिलना छोड़ दिया
मैं मिलने की उम्मीद के लिए ही
अब तक जी रहा हूँ
नहीं तो कब का मर गया होता
मुझे उम्मीद है
तुम एक दिन जरूर मिलोगी
इतने बड़े शहर में
कहीं न कहीं
किसी मोड़ पे
किसी न किसी शक्ल में
किसी आवाज में
गुस्से में नाक फुलाए
चेहरा तमतमाए
कोई उम्मीद थी
मेरे भीतर अब तक
नहीं तो मैं
इतने साल कैसे जी गया
तुम्हारे बगैर
ना-उम्मीदी के बीच
क्या वह तुम थी
मेरी साँस में
घुली हुई प्राणवायु की तरह
क्या वह तुम्हारी परछाई थी
या आवाज
या गंध
या स्पर्श
या सिर्फ एक खयाल
उम्मीद हमेशा
खयाल में ही छिपी होती है
पर जब भी
मेरी आँखों में गिरती हैं
दो बूँदें
उनमें भी एक उम्मीद
छिपी होती है
किसी दिन तुम जरूर आओगी
कहोगी
भूल जाओ पुरानी बातें
मैं ही हूँ तुम्हारी असली दोस्त
जिसे तुम जीवन भर इतना दुश्मन समझते रहे
इस दोस्त को जानो
और खुद को पहचानो
तभी तुम कहोगे
प्यार, मेरे लिए सिर्फ एक उम्मीद का नाम है...