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प्यार वरदान है ज़िन्दगी के लिये / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
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प्यार वरदान है ज़िन्दगी के लिये
ग़म से लाज़िम है उल्फ़त ख़ुशी के लिये
हौसला और हिम्मत हो दिल में अगर
कुछ भी मुश्क़िल नहीं आदमी के लिये
होश में गैर मुमक़िन है यादे-ख़ुदा
बेख़ुदी चाहिये बन्दगी के लिये
फूल समझा जिन्हें, ख़ार निकले सभी
हम पुकारें किसे दोस्ती के लिये
की इबादत, फ़रिश्ते समझ कर, वही
सर उठाने लगे दुश्मनी के लिए
लोग जश्ने-दिवाली मनाते रहे
हम तरसते रहे रौशनी के लिये
चन्द काँटे बहारों के मालिक बने
फूल तरसा किये ताज़गी के लिए
यारो! मतलब-परस्ती के इस दौर में
कौन हमदर्द होगा किसी के लिए
चीखती है शहीदों की रूह दोस्तों!
कुछ करो मुल्क की बेहतरी के लिये
इल्म से कोई शायर न होगा ‘मधुप’
दर्दे-दिन चाहिये शायरी के लिए