भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार से / अहमद शामलू / श्रीविलास सिंह
Kavita Kosh से
वह जो कहता है कि मैं प्यार करता हूँ तुम्हें
है एक शोकाकुल कवि
जिसने खो दिए हैं अपने गीत ।
काश ! प्यार को
होती जुबान बोलने के लिए ।
हज़ार ख़ुश लवा पक्षी
उड़ते हैं तुम्हारी आँखों में,
हज़ार बुलबुलें
चुप हो जाती है मेरे गले में ।
काश ! प्यार को
होती ज़ुबान बोलने के लिए ।
वह जो कहता है मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
है रात्रि का नील हृदय
तलाश में चाँदनी की ।
काश ! प्यार को
होती ज़ुबान बोलने के लिए ।
हज़ार हंसते हुए सूर्य
तुम्हारे क़दमों में
हज़ार रोते हुए तारे
मेरी कामना में ।
काश ! प्यार केवल बोल पाता ।
शोलेह वोलपे के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह